Message From President

शिक्षा का कार्य मानवी जीवन का सर्वांगीण विकास है ।
शिक्षा हमारे वैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक और भौतिक विकास की धूरि है । शिक्षा तभी सच्ची कहीं जा सकती है, जब उसका उद्देश्य मात्र अर्थार्जन, धनार्जन, भौतिक सुविधा एवं संसाधन की प्राप्ति ही नहीं अपितु सामाजिक जीवन में सर्व समाज हित के लिए जीवन मूल्यों को ग्रहित कर तद्नुरुप प्रेरणा देने की सम्भावनाओं को शिक्षित, दीक्षित और प्रशिक्षित करना है । उसी प्रकार क्षेत्र का विकास करते है । ये संस्कार हमें सात्विक महापुरुषों के जीवन आचरण कार्य, सद्गुण, त्याग, कर्मठता, निपुणता आदि से प्रभावित होकर प्राप्त होते है । और तब हम जीवन उनके अनुरूप ढालने का प्रयत्न करते हैं । ये संस्कार ही हमारे जीवन की दिशा को निर्देशित करते है । आज देश में ही नहीं विश्व में शिक्षा के साथ-साथ सुसंस्कार, सभ्यता, सुव्यवस्था, सात्विक साहित्य, उत्तम नीतियुक्त आचरण की आवश्यकता सभी को महसूस ही नहीं अत्यावश्यक भी लगने लगती है । अतः हम शिक्षा के साथ-साथ उत्तम संस्कार सभ्य और सात्विक भावी पीढ़ी को बनाने के लिए इस शिक्षा संस्थान के माध्यम से निश्चित ही नहीं संकल्पित भी है । अतः हमारे शिक्षा संस्था का मूल उद्देश्य मात्र शिक्षा देना नहीं अपितु विद्यार्थी को चरित्रवान, सहृदयी, नीतिवान नागरिक बनाना है । हम आपके सहृदयी सहयोग की आकांक्षा करते है ।
शुभेच्छुक
पं. शंकर प्रसाद अग्निहोत्री
अध्यक्ष,
जय महाकाली शिक्षण संस्था, रामनगर, वर्धा